अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले
कुछ अँधेरे मैं धूमिल और कुछ आँसू में बह चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !
कुछ पतझड़ के पत्ते बने, कुछ सावन के बादल,
कुछ बूँदे बने तो कुछ हवा हो चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !
कुछ दीपक बने तो कुछ जुगनू ,
कुछ बुझ गए पल में और कुछ जगमगाते चले
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !
कुछ आशा के फूल, कुछ निराशा कि झाड़ बने ,
कुछ चुभे थोडा थोडा सा और कुछ महकता संसार दे चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !
कुछ आँखों तले बैठ कर ही मन लुभाते रहे,
कुछ नीद को अपने गम बताते रहे,
कुछ बने अनकही और कुछ गुनगुनाते चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !
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