हुई सुबह ...
दिन शुरू हुआ ,
मैं उठी कुछ जल्दी में,
शायद थी अफरा तफरी में ,
जाना था लर्निंग लाइसेन्स बनवाने ,
पर ये क्या यहाँ थे बड़े बहाने
ऐसे कैसे लाइसेन्स बन पायेगा इसमें तो पूरा दिन जायेगा ,
लम्बी लाइन थी बड़ी वहां ,
पर कुछ काम हो रहा दिखता था जल्दी भी वहां,
थे कौन महान लोग वो जो करवा पा रहे थे काम को ,
कुछ क्षण सोचा मैंने और पूछ लिया एक सज्जन को ,
वो बोले पैसे का है खेल सारा ,
बिन रिश्वत दिए नहीं गुज़ारा ,
अब आई कुछ बात समझ में ,
और हम भी चल दिए उनकी ही पंक्ति में,
कुछ पैसो की ही तो बात है ,
लेकिन समय की बचत भी तो प्रधान है ,
ये आश्वासन खुद को दिलाया ,
और रिश्वत देकर लाइसेन्स बनवाया !
कुछ दी देर में मोबाइल पे कॉल आया,
एयरटेल कस्टमर सर्विस का फ़ोन आया,
मैडम आपने अपना बिल नहीं चुकाया ,
ये क्या !!आश्चर्य से मैंने सर हिलाया ,
कनेक्शन ही नहीं है तो कौन सा बिल आया ?
फिर हमने कस्टमर केयर को कॉल लगाया ,
कई प्रयासों के बाद कॉल मिलाया ,
किसी कन्या ने फ़ोन उठाया ,
पूछने पर बताया, आपने पिछले माह का बिल नहीं चुकाया ,
परन्तु हमने तो बिल चुकाया था ,फिर क्यों हमको ऐसा फ़ोन आया ,
इसके बाद भी कई दिनों तक इसी तरह के कॉल उठाये ,
कृपया अपना बिल शीग्र चुकाए ,
हर बार फ़ोन में होती या होता था एक नयी आवाज़ ,
हर बार निकालो समस्या का पूरा इतिहास ।
जैसे ही इस समस्या से निकली बाहर , एक और समस्या आ पड़ी गले पर ,
अपने आई सी आई सी आई क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाओ ,
अन्यथा उस पर ब्याज लगवाओ ,
ये कौन सा बिल निकल आया अचानक यहाँ पर,
मैं तो करती हूँ हर बिल पे समय पर ,
तुरंत कस्टमर केयर का ख्याल आया ,
लेकिन वहाँ से तो क्या ही समाधान आया ,
बड़ी मुश्किलों के बाद ,बिन मतलब का बिल पे करके
छुटकारा पाया !
हुआ फिर कुछ यूँ ही मोबाइल कस्टमर सेण्टर में भी ,
खराब हुआ है मोबाइल में कुछ मेरे,
देखके बतादो क्या हुआ है इसमें ?
कुछ देख कर वो बोला,.
बैठो कुछ देर बस, अभी सही होता है ,
यूँ तो हम जल्दी में थे ,
और भी बहुत काम बाकी थे ,
पर हो जायेगा अभी, ये सुन हम वहां बैठे थे
यूँ मिनटों से घंटे बने,
और वो हमसे कहने लगे ,
आप शाम में आ जाइये ,
और मोबाइल को ले जाइये ,
कुछ सोचा और हम चल दिए घर को ,
ये कह कर कृपया दे देना इसे शाम को ,
थी ज़रा जल्दी की बात पर करना पड़ा शाम तक इंतज़ार ,
पहुंचे हम शाम को ,
लेकिन ये क्या ये तो समझे बैठे हैं बुद्धू हमको ,
मैडम मोबाइल तो नहीं है तैयार ,
करो अब कल शाम तक का इंतज़ार !
क्या बोले अब कुछ समझ नहीं आता था ,
क्या हो रहा है ये ,क्यों सभी तरफ ऐसा है? मन में यही प्रश्न आता था ,
है कहने को ये कस्टमर केयर ऑफिस ,
मतलब ग्राहक सुविधा केंद्र ,
लेकिन ये सब तो बन रहे हैं बिन मतलब की असुविधा का केंद्र ,
क्या समस्या होने पर कस्टमर केयर के पास जाना
क्या सच में कस्टमर केयर में होता है सभी समस्याओं का समाधान,
लगता है अब तो वहाँ जाकर नहीं मिलती है केयर ,
बल्कि शायद मिलता है तेज़ आवाज़ में बोलने का डेयर।