Tuesday, April 20, 2010

तुम बिछड़े....

तुम बिछड़े तो हम सबसे दूर हो गए,
तुम्हारे पास आने को मजबूर हो गए ,

तुम्हारे दूर जाने से जो ज़ख्म हुए दिल में,
वो आज का  दिन आते आते, नासूर हो गए,

हमने कब सोचा था की हम कुसूरवार हो जायेंगें,
और आप खता कर के बेकुसूर हो गए ,

आप तो बेखबर हो हमारी हालत से ,
अपनी ही बातों में मशगूल हो गए ,
हम यहाँ आंसूं बहते रहे आपकी याद में,
और आप ये सोच कर की याद नहीं करेंगे मगरूर हो गए,

एक ज़माना था कि चमका किया करते थे हम,
और आज हम कांच,आप कोहिनूर हो गए,

अ बेखबर तेरी दोस्ती ने हमे शायर बना दिया,
शुक्र है यहाँ मयखाना नहीं ,
नहीं तो मालूम पड़ता कि हम पीने वालो में मशहूर हो गए।

2 comments:

  1. विरह की पीड़ा तो सिर्फ एक विरही ही जनता है

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