Friday, March 12, 2010

जीवन एक नदिया सा...

जीवन एक नदिया सा !

तू जी जीवन एक नदिया सा ,
क्यों जिए भला बनके तालाब,
क्यों बने झील क्यों बने ताल,
ना होना है इनसे कुछ लाभ,
तू जी जीवन एक नदिया सा!

तू बह ऐसे ना ठहर कहीं ,
तू बहे जहाँ ,हरियाली हो ,
तू रुके अगर ,अँधियारा हो ,
तू जी जीवन एक नदिया सा!

तू कह ऐसे ,सब तुझे सुने ,
जब श्रवण लगाये,शांत रहे,
तू चलता जा तू चलता जा ,
और अपने पथ को स्वयं बना,
तू गाता जा एक नदिया सा,
तू जीवन जी एक नदिया सा!

तू प्यासे पथिक की प्यास बुझा,
तू ऊसर भू का श्राप मिटा,
तू जाये जहाँ लहराएँ वहां ,
तू खुशियों की बौछार ला,
लहराता जा इठलाता जा,
तू जी जीवन एक नदिया सा!

आंधी तूफ़ान में बढ़ा वेग,
तपती धुप मैं बन शीतल,
तू बन विवेक तू बन सहज,
तू बढ़ता जा तू बढ़ता जा,
तू जी जीवन एक नदिया सा!

तू पहुँच वहां गंतव्य जहाँ,
तू जीवन का अभिप्राय पा,
तू पा अपने उद्देश्य को,
आलिंगन कर उस अम्बुधि का,
तू जी जीवन एक नदिया सा,

तू पा उद्देश्य एक नदिया सा,
तू धैर्य ला एक नदिया सा ,
ना मुड़ पीछे तू बढ़ता जा ,
तू जी जीवन एक नदिया सा,
तू जी जीवन एक नदिया सा!

Sunday, March 7, 2010

मेरी सुबह मेरी शाम..

मेरे दिल के अरमान बन गए हो ,
मेरी सुबह मेरी शाम बन गए हो,
मखमली सी सेज पर जो  सपने सजाती हूँ,
उन सपनो के मेहमान बन गए हो,
मेरी सुबह मेरी शाम बन गए हो,
आखों में मेरी एक सूखी नदी सी थी,
भर आयें अब तो लगता है बिखेरेंगें मोती,
मेरी पलकों का चैन,सुकून ,आराम बन गए हो,
मेरी सुबह मेरी शाम बन गए हो!
आहिस्ता से दिल में दस्तक देकर,
अब इस दिल का कोहराम बन गए हो,
मेरी सुबह मेरी शाम बन गए हो,
एक सोच में था अहसास आपका,
एक सपने में था ख्याल आपका ,
वो हकीकत में मिलेगा ये उम्मीद ना थी ,
मेरी सोच का अंजाम बन गए हो,
मेरी सुबह मेरी शाम बन गए हो,
जो सपने हैं मेरे उनको हकीकत बनाना चाहती हूँ,
इस दिल में एक प्यार का मंदिर बनाना चाहती हूँ,
हर दर्द में एक चैन पाना चाहती हूँ,
कुछ वक़्त हैं इसमें जब इस सबके लिए में कहूँ,
कि मेरे भगवान् बन गए हो,
मेरी सुबह मेरी शाम बन गए हो!

मैं और वो

मैं और वो ,
वो आया और मुझको अपने साथ में लाया ,
साथ शुरू हुआ था जीवन हमारा
जागना सोना खेलना खिलाना ,
रहते थे हम हमेशा साथ ,
करते हर काम को साथ ,
हम साथ चलेंगें साथ रहेंगें ,
ऐसे थे अपने खयालात ,
खुश रहने का था बस अपना काम ,
फिक्र का नहीं था कहीं पर नाम ,
थे बड़े ख़ुशी से भरपूर अपने हालत ,

पर जैसे जैसे हम बड़े हुए ,
हम दोनों के रस्ते भी न जाने कैसे अलग हुए ,
था हमारा हर पल का साथ ,
और अब मिलना होता है अकस्मात् ,
जानते नहीं है कब मिलेंगे ?
कोई खबर नहीं होती है हाथ ,
पर जब भी हम मिलते हैं ,
वो लम्हे हसीं होते हैं,
जब भी वो आता है ढेरों खुशियाँ लता है ,
और मेरी दुनिया को रंगीन बना जाता है ,
पर जाने क्यों वो रहता नहीं है मेरे साथ ,
जाने कहाँ वो जाता है ,किस दुनिया मैं समां जाता है ?

जब वो जाता है सबको खुश छोड़ कर जाता है,
जब वो आता है तो भिन भिन स्थिति पाता है ,
और फिर सबकी दशा जानके उसका उपाय निकाल लाता है ,
और ऐसे अपना जीवन कटता जाता है ,
बहुत विवश मैं खुद को पाती हूँ ,
जब मैं ये सुन लेती हूँ ,
वो कभी लौट कर नहीं आता ,
पर लोगो को ये क्यों समझा नहीं आता ,
वो हर बार एक जैसा कैसे होके आ सकता है ,
वो तो हर बार और परिपक्व होके आता है ,
वो आता है और जाता है ,
हर कोई उसका आना चाहता है ,
जैसे वो सबका विधाता है ,
कब आएगा वो ये जानने को ज्योतिष को बुलाया जाता है,
कहीं इन्टरनेट पर कुंडली और अस्ट्रोलोजी का सहारा लिया जाता है ,
मुझे भी उसके आने का इन्तिज़ार सताता है ,
ऐसा मेरा और मेरे वक़्त का नाता है .....

मेरा आशियाँ !

मेरा आशियाँ !
एक छोटा सा आशियाँ था मेरा,सुंदर बगिया सा आशियाँ था मेरा,
कुछ फूल खिले थे उस बगियाँ में,दो माली भी थे उस बगियाँ में ,
ये प्यारा सा आशियाँ था मेरा ,

उस बगिया में थी कुछ कलियाँ जिनको अभी खिलना था,
कुछ भवरों से अभी उनको मिलना था ,
सपनो के महल सा सा आशियाँ था मेरा,

रंग बिरंगी तितलियाँ मंडराती थी चारो और उस बगिया के ,
सुंदर मोर नृत्य किया करते थे इर्द गिर्द उस बगिया के,
रंगों से भरा ऐसा आशियाँ था मेरा ,

खिलने लगी थी अब वो कलियाँ,कुछ कच्ची थी पर थी यही दुनिया,
दो माली उनको सीचां करते थे,कलियाँ खुश रहती थी उनके ही दम से,
लहरों पे बसा ऐसा आशियाँ था मेरा....


फिर एक दिन एक तूफान आया ,जिसमे एक माली बिछड़ गया ,
था अब एक माली और नन्ही कलियाँ, एक माली बिन सूनी थी बगिया,
अब कौन देगा उन कलियों को पानी,वो एक माली नहीं था उन सबके लिए काफी,
ये कैसा हो चला था आशियाँ मेरा...

अब बिखर गयी थी सारी बगिया ,मुरझा गयी थी सारी कलियाँ ,
रहने लगा था उदास वो एक माली,उसकी दुनिया हो चली थी खाली,
छोटा सा आशियाँ था मेरा ..
फिर एक दिन एक दूजा माली आया ,खुश रखेंगें बगिया को ये विश्वास दिलाया,
पर वो माली था व्यर्थ बिलकुल,उसको ना थी कोई फिक्र बिलकुल,
वो तो अपने लिए ही जीता था ,उसके लिए बगिया का कोई महत्व नहीं था,
छोटा सा आशियाँ था मेरा,
उजड़ गयी थी अब वो प्यारी बगिया ,दोनों माली ने जिसको ऐसे ही छोड़ दिया,
मुरझा चली थी सारी कलियाँ,रोती सोती सी हो गयी थी वो बगिया ,

दो माली उनको छोड़ चले थे,वो एक दूजे के बस हो चले थे ,
वो भूल गए थे अपना वादा ,उनके लिए अपनी ख़ुशी थी ज्यादा,
छोटा सा आशियाँ था मेरा ,
पर इन कलियों में कुछ जान थी बाकी,जिसे एक दूजे माली ने आकर जानी..

वो भी थे दो माली,जो सींचा करते थे अपनी बगिया की डाली ,
उन्होंने उन कलियों को लिया अपनी बगियाँ मैं डाल,अब उनकी बगिया हो गयी थी विशाल,
लेकिन वो डर से घबराएं नहीं,उनके इरादे डगमगाएं नहीं.

उन्होंने मन मैं लिया था ठान ,वो रखेंगें बगियाँ को जैसे अपनी जान,
लगे सीचने उन मुरझायीं कलियों को,प्यार और दुलार से उन प्यासी कलियों को,
ऐसा एक आशिया था मेरा ,

फिर एक दिन एक नया सवेरा आया ,खिल चुकी थी अब सारी कलियाँ ,
माली दोनों ही खुश थे आज ,उनकी मेहनत रंग लायी थी आज,कलियाँ फूल बन गयी थी आज,
सफल हो गया था उनका जीवन ,फूलों को मिल गयी थी उनकी मंजिल,
फूलों पे भवरें मंडराने लगे थे, फूलों के रस को वो चाहने लगे थे .
अब खुश हैं माली और खुश हैं बगियाँ ,
बस यही प्यारा सा आशियाँ हैं मेरा ........