Friday, June 3, 2011

दुनिया....

वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,
कहीं ख़ुशी का फव्वारा तो कहीं आसूं की प्याली है....
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है..

मानवता का पाठ पढ़ाते, पर मानव  का कोई  मूल्य नहीं ,
धर्म  अधर्म  की   बात  करें सब, फिर भी कोई धर्म नही,
जिस धर्म के ऊपर जान लुटाते, उसका तनिक भी ज्ञान नहीं!
 वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,

कहने को  ईश्वर  एक है, फिर भी करोड़ो नाम हैं,
कहीं कहलाते देवराज , और कहीं इन्द्र बदनाम है,
जब ईश्वर अल्लाह एक हैं, तो क्यों मंदिर मस्जिद की लड़ाई ?
जब कर्म ही सबसे प्रधान है, तो क्यों करते हैं किस्मत की बड़ाई?
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,

कहीं अमीरी ,कहीं भलाई और कहीं सुख समृध्धि अपार है ,
कहीं गरीबी ,कहीं लड़ाई और आतंक का प्रचार है ,
कहीं पत्थर को दूध पिलाते ,और कहीं भूखे बच्चे करें गुहार ,
कहीं आदमी भूखा सोये,और  कहीं मंदिरों में हो सोने की बरसात,
पत्थर में बसते हैं ईश्वर, और उन पर करते तन मन न्योछावर,
कहीं पर तो लेते हैं ईश्वर की आड़,और करते हैं नर संहार,

वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है,
कहीं ख़ुशी का फव्वारा तो कहीं आसूं की प्याली है....
वाह री दुनिया वाह री दुनिया तू भी अजब निराली है..