Saturday, July 6, 2013

Nostalgia!!

यूँ देश विदेश मैं घूमे हम.…
पर वो बात कहीं भी आयीं ना ,
यूँ बीते दिन रात अनेक, पर वो रात कहीं भी पायी ना ,
होती थी अम्बर की चादर, और छोटू, तारो की ऊँगली पर गिनती करता था ,
बिस्तर पर मोटे गद्दे नहीं, बानो का तना  बिछौना होता था ,
दादी से किस्से सुनकर ही जब नीद आँख तक आती थी ,
जब सपनो की दुनिया ही बस मन को बहुत लुभाती थी ,
नहीं मिली वो रात कहीं जब भैया जोक सुनाता था ,
"दीदी ने खाई इमली आज" से ब्लैक मेल किया जाता था ,
लेटे लेटे जब यूँही, हाथ ज़मीन तक जाता था ,
मिट्टी का छोटा सा टुकड़ा  खाने को मिल जाता था 
पापा के आने का इंतीज़ार आँखों में होता था 
क्या खाने  की चीज़ लाये हो, बस ध्यान इसी पे रहता था;
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बीत गए वो पल सभी, पर यादे अभी भी ताज़ा हैं 
बनी रहे ये यादे यूँ ही और क्या इससे ज्यादा है।

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