Thursday, December 19, 2013

अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले!!

अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले 
कुछ अँधेरे मैं धूमिल और कुछ आँसू  में बह चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !

कुछ पतझड़ के पत्ते बने, कुछ सावन के बादल,
कुछ बूँदे  बने  तो कुछ हवा हो चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !

कुछ दीपक बने  तो कुछ जुगनू ,
कुछ बुझ गए पल में  और कुछ जगमगाते चले 
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !


कुछ आशा के फूल, कुछ निराशा कि झाड़ बने ,
कुछ चुभे थोडा थोडा सा और कुछ महकता संसार दे चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !


कुछ आँखों तले  बैठ कर ही मन लुभाते रहे,
कुछ नीद को  अपने गम बताते रहे,
कुछ बने अनकही और कुछ गुनगुनाते चले,
अधूरे ख्वाब मेरे कुछ पूरे हो चले !

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